दिवालियापन से गुजर रही दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (DHFL) को टेक ओवर करने में पिरामल आगे निकल सकती है। जानकारों का मानना है कि विदेशी कंपनी ओकट्री की तुलना में निवेशकों के लिए पिरामल का ऑफर काफी अच्छा है।

87 हजार करोड़ का कर्ज

बता दें कि DHFL पर कुल 87 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। इसमें से 58 हजार करोड़ रुपए का कर्ज सरकारी बैंकों और अन्य सरकारी कंपनियों का है। 10 हजार करोड़ रुपए का कर्ज निजी कंपनियों जैसे बैंक, म्यूचुअल फंड, बीमा आदि का है। 10 हजार करोड़ रुपए विदेशी निवेशकों का है। इसके पास 55 हजार रिटेल ग्राहक और कंपनियों की 5,400 करोड़ रुपए की फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) है। DHFL इंडियन बैंकरप्सी कोड (IBC) के रिजोल्यूशन प्रक्रिया से गुजर रही है।

शुरुआत में पिरामल ने किया था बिड

पिरामल ने काफी शुरुआत में इसके लिए बिड किया है। पिरामल ने IBC रिजोल्यूशन के जरिए FD धारकों को दिए गए कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स (COC) ऑफर्स के अलावा अपनी बिड में 10% अतिरिक्त रकम देने का भी ऑफर किया है। पिरामल ने एक बयान में कहा है कि DHFL के रिटेल फिक्स्ड डिपॉजिट के खाताधारकों की संख्या 55 हजार से अधिक है। इसमें से ज्यादातर ऐसे लोग हैं जो अपनी गाढ़ी कमाई के पैसे बचाकर छोटा-छोटा निवेश किए हैं।

एफडी के रिटेल ग्राहकों को 10% ज्यादा रकम

पिरामल का कहना है कि अपनी बिड में हमने COC द्वारा फिक्स्ड डिपॉजिट के ग्राहकों को जो 10% अतिरिक्त रकम देने की बात कही है, वह किसी नियम के तहत नहीं है। बल्कि हम उनके दर्द को साझा करने की कोशिश के तहत इसे देंगे। हालांकि पिरामल के बाद आखिरी दौर के बिड में ओकट्री ने भी अब ऐसा ही ऑफर किया है। वह अब FD ग्राहकों को 300 करोड़ रुपए ज्यादा देने का वादा किया है। हालांकि ओकट्री का यह ऑफर थोड़ा मुश्किल लगता है।

ओकट्री ने कहा कि हिस्सा बेचने के बाद रकम देंगे

ओकट्री ने कहा है कि DHFL की बीमा कंपनी को बेचने से मिलने वाली किसी भी रकम में से वह FD ग्राहकों को पैसे देगी। दरअसल ओकट्री विदेशी कंपनी है। भारत में बीमा सेक्टर में 49% के विदेशी निवेश की सीमा है। इसलिए FD ग्राहकों को बीमा कंपनी की बिक्री की रकम से अतिरिक्त रकम देने का ऑफर सही नहीं है। जबकि पिरामल ने FD ग्राहकों को नकद पैसा देने का ऑफर दिया है।

पिरामल का ऑफर मंजूर किया गया है

पिरामल के ऑफर को DHFL के प्रशासक (एडमिनिस्ट्रेटर) और उनके सलाहकारों द्वारा मंजूर किया गया है। बता दें कि साल 2019 नवंबर से नए IBC नियम के तहत DHFL दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है। यह अपने सेक्टर की ऐसी पहली कंपनी है जो IBC में है। इस कंपनी को अगर IBC से टेक ओवर कर लिया जाता है तो आने वाले समय में अन्य कंपनियों के लिए रास्ता आसान हो सकता है।

अगर यह मामला फंसता है तो इससे और बुरा असर IBC की प्रक्रिया पर दिखेगा। फिलहाल DHFL पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपना एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त किया है।



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बता दें कि साल 2019 नवंबर से नए IBC नियम के तहत DHFL दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है। यह अपने सेक्टर की ऐसी पहली कंपनी है जो IBC में है। इस कंपनी को अगर IBC से टेक ओवर कर लिया जाता है तो आने वाले समय में अन्य कंपनियों के लिए रास्ता आसान हो सकता है


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