पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने एक बार फिर इशारों ही इशारों में देश की ताकतवर फौज पर निशाना साधा। नवाज ने बुधवार को पार्टी कार्यकर्ताओं से बातचीत की। इस दौरान कहा कि देश की संसद और सरकार को कोई तीसरी ताकत चला रही है। नवाज का इशारा साफ तौर पर फौज की तरफ था। कुछ दिन पहले उन्होंने पार्टी नेताओं से कहा था कि वे आर्मी अफसरों से कोई मुलाकात न करें।

नवाज ने एक और खुलासा किया। कहा- 2014 में आईएसआई चीफ रहे लेफ्टिनेंट जनरल जहिर उल इस्लाम ने उनसे इस्तीफा देने को कहा था। नवाज के मुताबिक, उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया था।

नवाज के निशाने पर आर्मी
नवाज जानते हैं कि इमरान खान सरकार को सेना का समर्थन है और इसीलिए वो अब तक टिकी हुई है। इसलिए, बुधवार को जब इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने जब नवाज को लंदन से पाकिस्तान लौटने और कोर्ट के सामने पेश होने के लिए समन जारी किए तो उन्होंने इसका जवाब न देकर फौज पर निशाना साधा। कहा- लोगों ने मुझे बताया है कि हमारी संसद को कोई और ताकत चला रही है। वो ही आकर सरकार को ये बताते हैं कि संसद के एजेंडे में क्या रहेगा और कौन से बिल पास होंगे। हम अपने ही देश में गुलाम बन गए हैं।

मरियम ने भी यही कहा था
पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल बाजवा ने पिछले दिनों गिलगित-बाल्टिस्तान को अलग राज्य बनाने के प्रस्ताव पर बातचीत के लिए विपक्षी नेताओं को बुलाया था। इस मीटिंग के बाद नवाज की बेटी और पीएमएल-एन की उपाध्यक्ष मरियम नवाज ने कहा था- सियासत से जुड़े मामले या कानूनी मसले तो संसद में ही तय होने चाहिए। आर्मी हेडक्वॉर्टर में इन पर बातचीत क्यों की जाती है।

इस्तीफे का दबाव था
नवाज ने एक इंटरव्यू में बड़ा खुलासा भी किया है। नवाज ने कहा- 2014 में सरकार के खिलाफ कुछ विरोध प्रदर्शन हुए थे। तब आईएसआई चीफ जहीर उल इस्लाम ने मेरे पास आधी रात को एक मैसेज भेजा। इसमें मुझसे इस्तीफा देने को कहा गया था। मुझे धमकी दी गई थी कि अगर मैंने इस्तीफा नहीं दिया तो गंभीर नतीजे होंगे और देश में मार्शल लॉ भी लगाया जा सकता है।
शरीफ के मुताबिक- मैंने भी उसी भाषा में जवाब दिया था। मैंने कहा था- आपको जो करना है, कर लो। मैं इस्तीफा नहीं दूंगा। इस्लाम 2012 से 2014 तक आईएसआई के चीफ रहे थे।



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बेटी मरियम के साथ नवाज शरीफ। 15 दिन में दूसरी बार नवाज ने बिना नाम लिए फौज को देश का असली शासक बताया है। पिछले दिनों मरियम ने भी सेना पर तंज कसा था। नवाज पार्टी नेताओं के फौजी अफसरों से मिलने पर पहले ही रोक लगा चुके हैं। (फाइल)


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